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महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक
हमारे प्रेरणा
संस्थापक/कुलाधिपति
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर में आप का स्वागत है
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्रतीक चिह्न में महायोगी गुरु श्री गोरखनाथ जी की प्रतिमा केन्द्र में है । महायोगी गोरखनाथ जी भारत के सामाजिक प्रगति के अग्रदूत है । वायाडम्बर - पाखण्ड , ऊँच - नीच , छुआछूत जैसी सामाजिक विकृतियों के विरूद्ध समाज को जाग्रत करने वाले महायोगी गोरखनाथ ने सदाचरण , सच्चरित्रता सदाशयता एवं सद्व्यवहार को सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाई । लोककल्याणार्थ अपनी पूर्ण तपश्चर्या को समर्पित करने वाले महायोगी गोरखनाथ भारतीय संस्कृति के गौरवशाली अतीत एवं युगानुकूल आधुनिकता के प्रतीक हैं ।
महायोगी गोरखनाथ भारत की ज्ञान परम्परा एवं योग - परम्परा के सिद्ध पुरुष हैं । गुरु - शिष्य की अद्वितीय परम्परा भी गुरु श्री गोरखनाथ से जुड़ती है । प्रतीक चिह्न में महायोगी गोरखनाथ की प्रतिमा से ऊँ से होते हुए ज्ञान के प्रकाश - पुन्ज का फैलाव भारत की ज्ञान - परम्परा के चतुर्दिक प्रसार को प्रतिबिम्बित करता है ।...
प्रतीक चिह्न का बोध वाक्य ' स्वस्ति पन्थामनुचरेम् ' , महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के उद्देश्य , दृष्टि एवं लक्ष्य को एक साथ प्राख्यापित करता है । ऋग्वेद के पाँचवें मण्डल में उपरोक्त बोध वाक्य का पूर्ण रूप इस प्रकार उल्लिखित है..
भारत की संत परम्परा में नाथ पंथ के प्रर्वतक महायोगी गोरखनाथ का प्रतिष्ठित स्थान है। भारत की आध्यात्मिक परम्परा में योग के क्रियात्मक रूप का जन-जन तक पहुँचाने का श्रेय महायोगी गुरु गोरखनाथ तथा नाथ योगियों को ही हैं। नाथपंथ के प्रर्वतक इय महायोगी को युग-प्रर्वतक सन्त माना जाता है। भारत में सामाजिक परिर्वतन के अग्रदूत महायोगी गोरखनाथ ने मानव तन-मन-मस्तिष्क और आत्मा की शुद्धि के साथ स्वास्थ्य एवं उपासना का अद्वितीय सूत्र मनुष्य को दिया। गुरु श्री गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित नाथपंथ लोक-कल्याण को समर्पित सेवा को ही साधना मानकर निष्काम कर्मयोग का पथ-प्रदर्शक है।
श्री गोरखनाथ मन्दिर महायोगी श्री गोरखनाथ जी की तपःस्थली है। लोक मान्यता है कि श्री गोरखनाथ मन्दिर एवं श्री गोरक्षपीठ के महन्त गुरु श्री गोरखनाथ जी के प्रतिनिधि हैं। युग-प्रर्वतक महायोगी गोरखनाथ की यह तपःस्थली युगानुकूल अपनी लोकमंगलकारी भूमिका का विस्तार करती रही है। आधुनिक युग में ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महराज ने शिक्षा और चिकित्सा को सेवा का अंग बनाया।
सन् 1932 ई. में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की स्थापना इसी वैचारिक अधिष्ठान का सूत्रपात था। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएं खडी करने वाले ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महराज ने गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महराज ने श्रीगोरक्षपीठ एवं श्रीगोरखनाथ मन्दिर की इसी यशस्वी परम्परा को आगे बढाते हुए ‘गुरू श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय समिति’ की स्थापना के साथ एलोपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र में प्रभावी भूमिका की आधारशिला रखी। दिग्विजयनाथ आयुर्वेदिक कालेज, दिग्विजयनाथ आयुर्वेदिक चिकित्सालय की कड़ी में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय की स्थापना पूर्वी उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में सेवा का एक महत्वपूर्ण कदम था।
महायोगी श्री गोरखनाथ और उनकी यशस्वी परम्परा के लोक कल्याण का अगला पड़ाव ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’ की स्थापना कर योग, आयुर्वेद, चिकित्सा-शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा सहित युगानुकूल रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का संचालन कर समाज के लोकमंगल अभियान को आगे बढ़ाना है।
गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय समिति, गोरखनाथ, गोरखपुर की प्रबंध समिति ने सर्वसम्मति से पुर्वी उत्तर प्रदेश की आवश्यकतानुसार बेहतर एवं उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सुविधा, गुणवत्तायुक्त शिक्षा एवं उत्कृष्ट शोध के साथ ही युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय किया। विश्वविद्यालय का नाम, पता, उद्देश्य निम्नंवत् होगा। ...
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संचालित पाठ्यक्रम....
हम अपने छात्रों की देखभाल करते हैं, उनके कल्याण की कामना करते हैं और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करते हैं।
- बेसिक बी.एससी. (नर्सिंग)
- पोस्ट बेसिक बी.एससी. (नर्सिंग)
- बैचलर ऑफ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी (बी.ए.एम.एस.)
- बी.एससी. (ऑनर्स) कृषि
- बी.एससी. (ऑनर्स/रिसर्च) बॉयोटेक्नॉल्जी
- बी.एससी (ऑनर्स/रिसर्च) बॉयोकेमेस्ट्री
- बी.एससी. (ऑनर्स/रिसर्च) माइक्रोबायोलॉजी
- बी.एससी (ऑनर्स/रिसर्च) मेडिकल बॉयोकेमेस्ट्री
- बी.एससी. (ऑनर्स/रिसर्च) मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी
- बी फार्म
- बी. फार्म लेटरल एंट्री (द्वितीय वर्ष)
- बीबीए (ऑनर्स) लॉजिस्टिक्स
- एम.एससी. (नर्सिंग)
- एम.एससी. बॉयोटेक्नॉल्जी
- एम.एससी. मेडिकल बॉयोकेमेस्ट्री
- एम.एससी. मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी
- एमएससी बॉयोकेमेस्ट्री एनईपी-2020 के अनुसार
- एमएससी माइक्रोबायोलॉजी एनईपी-2020 के अनुसार
- नर्स प्रैक्टिशनर इन क्रिटिकल केयर (पीजी रेजीडेंसी) कार्यक्रम
- ए. एन. एम.
- जी. एन. एम.
- डिप्लोमा इन लैब टेकनीशियन
- डिप्लोमा इन डायलिसिस टेकनीशियन
- डिप्लोमा इन ऑपटिमेट्री
- डिप्लोमा इन इमरजेंसी एंड ट्रॉमा केयर टेकनीशियन
- डिप्लोमा इन एनेसथीसिया एंड क्रिटिकल केयर टेकनीशियन
- डिप्लोमा इन ऑर्थोपेडिक एंड प्लास्टर टेकनीशियन
- डी.फार्म
- पीएच.डी. आयुर्वेद
- पीएच.डी. फार्मेसी
- पीएच.डी. कृषि
- पीएच.डी. बॉयोटेक्नॉल्जी
- पीएच.डी. बॉयोकेमेस्ट्री
- पीएच.डी. माइक्रोबायोलॉजी
- पीएच.डी. मेडिकल बायोकैमिस्ट्री
- पीएच.डी. मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी
कुलपति जी के संदेश
मुझे इस प्रतिष्ठित संस्थान का नेतृत्व करने का सौभाग्य और उत्साह प्राप्त हुआ है। मेरी दृष्टि स्पष्ट है: एक ऐसा वातावरण निर्मित करना जो न केवल प्रत्येक छात्र को समर्थन प्रदान करे, बल्कि उनकी क्षमताओं और प्रतिभाओं को पोषित करे, जिससे वे स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
हमारे पास पहले से ही उत्कृष्टता की एक मजबूत नींव है, जिस पर हम आगे बढ़ सकते हैं। नवाचार, शैक्षिक कठोरता और नैतिक मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता ने हमें चिकित्सा शिक्षा और शोध में एक अग्रणी संस्थान बना दिया है। आपके निरंतर समर्पण और जोश के साथ, हम इसे और ऊंचाइयों तक ले जाएंगे, जहाँ ज्ञान और करुणा का संगम हो।
एक सक्षम और संवेदनशील स्वास्थ्य सेवा पेशेवर बनने का रास्ता कभी आसान नहीं होता। यह समर्पण, कठोर परिश्रम और जीवन भर सेवा के प्रति प्रतिबद्धता की मांग करता है। लेकिन यही वह यात्रा है, जिससे आप न केवल अपनी क्षमताओं को आकार देंगे, बल्कि आप उन अनगिनत जीवनों में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएंगे, जिन्हें आप सेवा प्रदान करेंगे।
मैं आप सभी को इस यात्रा में मेरे साथ जुड़ने का आह्वान करता हूँ। हम मिलकर एक ऐसा भविष्य बनाएंगे जहाँ हमारे स्नातक न केवल अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे, बल्कि हृदय, ईमानदारी और दूसरों के जीवन में बदलाव लाने की अडिग प्रतिबद्धता के साथ नेतृत्व करेंगे।